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*एक तरफा प्यार* कुछ दिनों से अजीब सी बेचैनी है न ज

*एक तरफा प्यार*
कुछ दिनों से अजीब सी बेचैनी है
न जाने क्यों बो दिलो दिमाग को बहकाती जा रही है
कुछ दिनों से अजीब सी बेताबी है
ना जाने क्यों वो अधूरी कहानी पूरी होती जा रही है
कुछ दिनों से जिसे भूल गया था सपना समझ कर
न जाने क्यों वो मेरे इर्द गिर्द आती जा रही है
वो एक तरफा प्यार , वो ख्वाबों में इजहार
वो अजीब सी तकरार, वो सपनों में ऐतबार
कुछ दिनों से अजीब सी तन्हाई हैं
न जाने क्यों वो मेरी तन्हाइयों में समाती जा रही है
न आंखे मिली , न बातें हुई, न कोई मुलाकात हुई 
न देखा मैने उसे न उसने देखा मुझे फिर ये कैसी सुरूआत हुई
कुछ दिनों से वो पल जो बीत गए है
न जाने क्यों वो अधुरी कहानी याद आती जा रही है
गुमनाम बस एक  नाम है या मेरे मन का बहम या कोई सपना अधूरा सा
गर सपना है तो नींद कहा है चेन कहा है क्यो लगता सब कुछ पूरा सा
कुछ दिनों से खुद से यकीन उठ गया है
न जाने क्यों वो जागते में भी नजर आती जा रही है
वो खूबसूरत दिखती थी ,पर में खूबसूरत नहीं था
मुझे घमंड था बदसूरती का ,और उसे खूबसूरती का गुरूर नहीं था
उसके पास दौलत बेशुमार थी, मेरे पास गरीबी लाचार थी
मुझे घमंड था गरीबी का , पर उसे दौलत का खुमार नहीं था
क्या समझू इसे मेरा पागलपन या समय की लिखी अधुरी कहनी
कुछ दिनों से ये पागलपन सर चढ़ गया है
ना जाने क्यों वो मुझे पागल करती जा रही है
RJ Gumnam
Ravi Jha ek tarfa pyar
*एक तरफा प्यार*
कुछ दिनों से अजीब सी बेचैनी है
न जाने क्यों बो दिलो दिमाग को बहकाती जा रही है
कुछ दिनों से अजीब सी बेताबी है
ना जाने क्यों वो अधूरी कहानी पूरी होती जा रही है
कुछ दिनों से जिसे भूल गया था सपना समझ कर
न जाने क्यों वो मेरे इर्द गिर्द आती जा रही है
वो एक तरफा प्यार , वो ख्वाबों में इजहार
वो अजीब सी तकरार, वो सपनों में ऐतबार
कुछ दिनों से अजीब सी तन्हाई हैं
न जाने क्यों वो मेरी तन्हाइयों में समाती जा रही है
न आंखे मिली , न बातें हुई, न कोई मुलाकात हुई 
न देखा मैने उसे न उसने देखा मुझे फिर ये कैसी सुरूआत हुई
कुछ दिनों से वो पल जो बीत गए है
न जाने क्यों वो अधुरी कहानी याद आती जा रही है
गुमनाम बस एक  नाम है या मेरे मन का बहम या कोई सपना अधूरा सा
गर सपना है तो नींद कहा है चेन कहा है क्यो लगता सब कुछ पूरा सा
कुछ दिनों से खुद से यकीन उठ गया है
न जाने क्यों वो जागते में भी नजर आती जा रही है
वो खूबसूरत दिखती थी ,पर में खूबसूरत नहीं था
मुझे घमंड था बदसूरती का ,और उसे खूबसूरती का गुरूर नहीं था
उसके पास दौलत बेशुमार थी, मेरे पास गरीबी लाचार थी
मुझे घमंड था गरीबी का , पर उसे दौलत का खुमार नहीं था
क्या समझू इसे मेरा पागलपन या समय की लिखी अधुरी कहनी
कुछ दिनों से ये पागलपन सर चढ़ गया है
ना जाने क्यों वो मुझे पागल करती जा रही है
RJ Gumnam
Ravi Jha ek tarfa pyar
rjgumnam6580

RJ Gumnam

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