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छलकती आँखे होती है, चुभती खामोशियों की जुबान, ज



छलकती आँखे होती है,
चुभती खामोशियों की जुबान, 
जो बयां नहीं कर सकते अल्फ़ाज़, 
वह बोल देती है आँखे।

अल्फाज़ अपना ज़ख्म, 
दिल में छुपा कर दर्द सह लेता है, 
लेकिन आखिर में तो, 
आँखों से अश्क का सैलाब बह ही जाता है। 

छलकती आँखे सुनाती है दास्तान, 
वह अधूरे रिश्तो की जो, 
मंजिल तक पहुंचने से पहले ही, 
बीच में ही दम तोड़ देता है। 

फरेबी लोगों को क्या कीमत, 
होती है हमारे आँसूओ की,
वह तो खुदगर्ज बनके,
अपनी खुशियों के लिए चले जाते हैं, 
और हमें आँसूओ का तोहफ़ा दे जाते हैं। 

-Nitesh Prajapati 




 ♥️ Challenge-937 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।


छलकती आँखे होती है,
चुभती खामोशियों की जुबान, 
जो बयां नहीं कर सकते अल्फ़ाज़, 
वह बोल देती है आँखे।

अल्फाज़ अपना ज़ख्म, 
दिल में छुपा कर दर्द सह लेता है, 
लेकिन आखिर में तो, 
आँखों से अश्क का सैलाब बह ही जाता है। 

छलकती आँखे सुनाती है दास्तान, 
वह अधूरे रिश्तो की जो, 
मंजिल तक पहुंचने से पहले ही, 
बीच में ही दम तोड़ देता है। 

फरेबी लोगों को क्या कीमत, 
होती है हमारे आँसूओ की,
वह तो खुदगर्ज बनके,
अपनी खुशियों के लिए चले जाते हैं, 
और हमें आँसूओ का तोहफ़ा दे जाते हैं। 

-Nitesh Prajapati 




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