वक्त कुछ यूं बदलता जा रहा है, हर रिश्ता मतलब का होता जा रहा है। आलम कुछ यूं है कि छलकती आंखों से लिखा गया हर ज़ख्म अब महज़ एक शायरी हिस्सा बनता जा रहा है।। तपती धूप में हम जिसकी खातिर रहते थे खड़े वहीं शक्स आज घनी छांव में हाथ छोड़ कर जा रहा है। सच पूछो कोई वक्त था जिसमें रहता था अकेला, लगता है वो मौसम फिर से वापस आ रहा है।। सच है ना मेरे खुदा! वक्त कुछ यूं बदलता जा रहा है। -dj broken heart #वक्त# दीपक शर्मा (दीप राही) स्वाति झा