मातृभाषा "बघेली" में एक भजन लिखने का प्रयास होई गा त जूना, चलई के राम.... कबहुँ न निकला, मुह से राम....2 जन्म त पायेन ,मानव तन मा। उलझि गयेन ,माया के भरम मा। अब त भरोसा,बस राम राम। होइ गा त जूना चलई.... खेलत खात, बालपन बीता। भा विवाह त योवन बीता। नही बुढ़ापा,चिंता से रीता। अंत समय माँ ,आये न राम.. होइ गा त जूना चलई के राम। कबहुँ न निकला मुह से राम2