अल्फाज़ हैं मगर, जग में कितने राष्ट्र हैं , सबके अपने इतिहास हैं । कितने राष्ट्रों ने उन्नति की, कितने ही राष्ट्रों ने अवनति के दर्शन किये। लेकिन मेरा तेरा हमारा देश, भारतवर्ष ही अपवाद नहीं हो सकता। माना कि देश परतंत्रता की बेड़ियों में रहा, आजादी को शहीदों का घोर बलिदान रहा। लेकिन आज क्यों देश प्रगति पर नहीं है, आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिये। राष्ट्र की उन्नति जातिवाद धर्मवाद पर कैसे, पहले पांच वर्षों द्वारा पूरे होने योग्य कार्यों का, कोई सरकार आजतक विवरण नहीं दे पाई है। फिर पांचवर्षिये योजनाओं की घोषणा पर, हमारा देश जातिवाद पर चुनेगा सरकार। फिर कहां कैसे उन्नति करेगा हमारा देश, जबतक समिति नहीं विकास पटल पर, हमारा भारतवर्ष महाशक्ति का अपवाद नहीं हो सकता। जातिवाद धर्मवाद पर निर्भर देश की अर्थव्यवस्था, समाज को हिंसा के अलावा कुछ नहीं दे सकती, हम वही जूझ रहे मानवता को धकेल रहे हैं , यह उन्नति प्रदान राष्ट्र की गरिमा नहीं हो सकती। राष्ट्र की उन्नति के लिये आओ हम सब सीखें, साथ साथ चलें राष्ट्र धर्म की महाशक्ति बनें। संजीव रामपाल मिश्र बाबा #विचार