Alone and You याद उसकी इस क़दर तारी थी मुझ पर हिज्र की एक-एक घड़ी भारी थी मुझ पर रोज़ी-रोटी की खातिर शहर चला आया वगर्ना बूढ़ी मॉ की ज़िम्मेदारी थी मुझ पर अहमद पाशा अमरोही maa ki yaad