इस्लाम को बचाया मेरे हुसैन ने ज़ूल्मत को है हराया मेरे हुसैन ने क्या चीज़ है नमाज़ बताया है सभी को सज्दे मे सर कटाया मेरे हुसैन ने अब्बास अलमदार की वफ़ा की है कसम भाई भी क्या है पाया मेरे हुसैन ने मारा अली असगर को जब तीर लईनों ने तीर हलक से है हटाया मेरे हुसैन ने आल ए रसूल का सर जब रखा गया सीना पर मै हूँ बुलंद ये बताया मेरे हुसैन ने अल अतश जो सून लीया इमाम ने भी सकीना से जाम सब्र का पिलाया मेरे हुसैन ने ऐ बाबा रन मे मै भी जाउंगा बोले क़ासिम इब्ने हसन को है समझाया मेरे हुसैन ने सुगरा ये सून के तूम भी गश खाके गीर ना जाना करबल को खूं पिलाया मेरे हुसैन ने मै तेरे घर की जानीब आता हूँ ऐ शिरीं शिरीं को ख्वाब मे बताया मेरे हुसैन ने आशिक़ तुम इनका अहसां ना भूलना कभी सब कुछ तो है लूटाया मेरे हुसैन ने लेखक आशिक़ मोमिन Karbala #Poem #Poetry #Ghazal #Ashiqmomin #Ashiqshayari #Karbalaimage #Shayari #Sadshayari #Imamhussain #iraq #Muharram #Karbala2019