सेना पर राजनीति #dirtypolitics #politics #politicians #brave #army #air #airforce सेना पर राजनीति ----- सेना पर राजनीति वास्तव में क्या है? सैनिक शहीद होते हैं तो विपक्षी दल व अन्धविरोधी प्रधानमंत्री का स्तीफा मांगते हैं या प्रश्न उठाते हैं कि उन्होंने क्या किया बदला लेने के लिए। वहीं जब सुबह 3:30बजे जब ये ज्ञान पेलू लोग और हम सब अपने अपने घरों में आओ रहे थे तब वही प्रधानमंत्री अजीत डोभाल व सैन्य अधिकारियों के साथ एयर स्ट्राइक पर नज़र रखे हुए थे, रात भर जागा था। शत्रु के लगभग 300 आतंकियों का सफाया कर दिया गया। अब ये विपक्षी और उनके चमचे अन्धविरोधी कहते हैं कि प्रधानमंत्री तो चुनावी एजेंडे के तहत अपना प्रचार मात्र कर रहे हैं। तो क्या शत्रु की तबाही की सूचना सरकार जनता को न दे? क्या जनता का अधिकार नही है कि वह भी प्रसन्न हो जाए जानकर की सैनिकों की शहादत का प्रतिशोध ले लिया गया है? वाह। जब शत्रु आक्रमण करे तो मोदीजी जिम्मेदार और जब शत्रु को उत्तर दे दिया गया तो सेना का राजनीतिक लाभ उठाया? इतना नशा क्यों करते हो भाई? और सबूत माँगने वालों हमारी सेना को मूर्ख समझा है क्या तुमने? उनकी तकनीक पर तुमको शंका है क्या? सेना ने पाया कि उनके लक्ष्य पर लगभग 300 मोबाइल एक्टिव थे अर्थात 300 वे आतंकी उपस्थित थे जो फोन on रखे हुए थे। कुछ ऐसे भी होंगे जिनके पास फोन नहीं होंगे(पाकिस्तान कंगला देश है इसलिए), कुछ के फोन बंद होंगे, बैट्री समाप्त हो गई होगी। तो जब उस लक्ष्य को नष्ट कर दिया गया तो उन 300 से 350 लोग क्या जादू से गयाब हो गए होंगे? अरे मूर्खों उनके चीथड़े उड़ गए होंगे। सेना के पराक्रम पर संदेह और एक कर्मठ प्रधानमंत्री पर प्रश्नचिन्ह लगाना बन्द करो।