इश्क़ की ताक़त यक़ीनन हम जी न पाएंगे उनके बिना, न जाने ये ख़याल उन्हें आता क्यों नहीं! (पूरी ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें) यक़ीनन हम जी न पाएंगे उनके बिना, न जाने ये ख़याल उनको आता क्यों नहीं, तलब लगी है उनकी ही सोहबत की क्यों हमें, कोई और तराना मैं कोई गाता क्यों नहीं, क्या बात है कि बज़्म में तनहा हैं आज भी,