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सरहद शाम होते-होते ख्वाब डूब गए, उम्मीद सवेरे की अ

सरहद
शाम होते-होते ख्वाब डूब गए,
उम्मीद सवेरे की अभी भी बाकी है,
मैने ख़्वाबों का घरौंदा बनाया था,
दो टुकड़े हुए.....
मेरी मिट्टी, मेरा घरौंदा
सरहद के उस पार रह गया,
शाम होते-होते ख्वाब डूब गये,
उम्मीद सवेरे की अभी भी बाकी है,
मानो अब सुबह ढलेगा.....
और शाम सतरंगों  मे उसपर भी नए रंग  लाएगी 
Rakhi's

©Rakhi  Gupta
  #सरहद #kavita#poet