मुझे अक्सर वो कहते थे कि हम साथ देंगे तुम्हारा आज वही छोड़ कर चले गए हैं मुझे बेसहारा बैठा करते थे जिस समुंदर के किनारे हम आज तो वह समुंदर भी रो पड़ा बेचारा वह बहुत बातें कर कर हमारे करीब आए थे और आज खामोशी से कर गए हैं हमसे किनारा अब हम खुद के खुद ही नहीं है और ना ही रहा है कोई हमारा ©Akshita Maurya #कोई_नहीं