तुझे छिप छिप के यूं तकना तेरी ही ख्वाहिशें करना । तुझे दिल से लगा कर दर्द आंखो में छिपा लेना । तेरी ख्वाहिश मे मुस्काना सितम सब हसके सह जाना। तेरी ही राह बस तकना हां मेरी ही कमजोरी थी। तुझे सांसो की राहों से छुपाकर रूह म रखना । चुभे अल्फ़ाज़ दिल में गर यू पलकों में छिपा लेना । झरोखों खिड़कियों की राह में पलके बिछा देना । तुझे महसूस कर के मुस्कुराना ही मजबूरी थी। तेरी ख्वाहिश बुझे चिलमन से ओठों म दबा लेना। तुझे अपना समझना और तुझसे ही बिछड़ जाना । तुझे ढूंढा तुझे पाया संभालू दिल कहां कैसे । यूं तुझसे दूर जाकर टूटना मेरी मजबूरी थी । यूं तुझसे दूर जाकर टूटना मेरी मजबूरी थी। तेरी ही राह बस तकना हां मेरी ही कमजोरी थी। #OpenPoetry तुझे छिप छिप के यूं तकना तेरी ही ख्वाहिशें करना । तुझे दिल से लगा कर दर्द आंखो में छिपा लेना । तेरी ख्वाहिश मे मुस्काना सितम सब हसके सह जाना। तेरी ही राह बस तकना हां मेरी ही कमजोरी थी। तुझे सांसो की राहों से छुपाकर रूह म रखना । चुभे अल्फ़ाज़ दिल में गर यू पलकों में छिपा लेना । झरोखों खिड़कियों की राह में पलके बिछा देना । तुझे महसूस कर के मुस्कुराना ही मजबूरी थी।