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दिन के उजालों में कई ख़्वाब देखता हूं मैं खुली आंख

दिन के उजालों में कई ख़्वाब देखता हूं
मैं खुली आंखों से मुसलसल

रात होते ही कहीं खो जाते हैं
मेरे ख़्वाब बिल्कुल मेरी तरह


पिछले कुछ सालों से रोज़ यही सब क्यों होता है 205/365

रोज़ यही सब क्यों होता है...
#क्योंहोताहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine #365days365quotes #bestyqhindiquotes #writingresolution #aprichit
Collaborating with YourQuote Didi
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मैं खुली आंखों से मुसलसल

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मेरे ख़्वाब बिल्कुल मेरी तरह


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