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चाहत में तेरे हद से गुजर जाएंगे इक दिन हो वस्ल



चाहत में तेरे हद से गुजर जाएंगे इक दिन
 हो वस्ल जो रुखसार सँवर जाएंगे इक दिन 

हमको तेरे कान्धों का सहारा ना मिला जो
 तन्हाई में जी पाए न यूँ मर जाएंगे इक दिन 

यूँ दर्द-ए -दिल  सिलसिले जो चाहत के जगाये
तो हू-ब-हू हर्फ़ों में उतर जाएंगे इक दिन

आँखो की' नमी मे लगे डूब के' जीने
हालत में ऐसे अश्क भर जाएंगे इक दिन

है "सुधा " तमन्ना मिलो जो तुम कभी हमको
तेरे ही  परस्तिश को ठहर जाएंगे इक दिन

©Sudha Tripathi
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