कभी इन मेलों में दुनिया मिलती थी हमारी , ना दाम से मतलब था न उसकी गुणवत्ता से, लेकिन अब ख्वाहिशें बाज़रू सी हो गयी है।। #बाजारू #हिंदी #munasif_e_mirza #munasif_life