आतिशबाजियों में भी खामोशियां बसती हैं समझ सको अगर तो,बंद कमरों में शोर बहुत सुनाई देता है। क्या खोजना है यह समझ आ जाए जब, नज़रों को रत्ती भर जुगत लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।तलाश ताउम्र अधूरी ना रह जाए कहीं, बस खुद को खुद से रोज मिलाने की आदत लगानी पड़ती है। #खोज