औकात नहीं थी जमाने में जो मेरी कीमत लगा सके , कम्बख्त इश्क में क्या गिरे मुफ्त में निलाम हो गए । #औकात नहीं थी #जमाने में जो मेरी कीमत लगा सके #Night #शायरी