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जो कभी डरता था मैं बिन तेरे जीने से, एक उम्र बिना

जो कभी डरता था मैं बिन तेरे जीने से, एक उम्र बिना तुम्हारे बितानी अभी बाकी है।
हाँ है फासले अब तेरे मेरे दरमिंयां, पर तेरी मेरी कहानी अभी बाकी है।
जख्म तुम्हारे भी गहरे थे, जख्म मेरे भी गहरे थे, दर्द खत्म हुआ पर निशानी अभी बाकी है।
ऐसे तो हज़ार बार मेहरबान हुआ तू, पर तेरी आखिरी मेहरबानी अभी बाकी है। meharbaani
जो कभी डरता था मैं बिन तेरे जीने से, एक उम्र बिना तुम्हारे बितानी अभी बाकी है।
हाँ है फासले अब तेरे मेरे दरमिंयां, पर तेरी मेरी कहानी अभी बाकी है।
जख्म तुम्हारे भी गहरे थे, जख्म मेरे भी गहरे थे, दर्द खत्म हुआ पर निशानी अभी बाकी है।
ऐसे तो हज़ार बार मेहरबान हुआ तू, पर तेरी आखिरी मेहरबानी अभी बाकी है। meharbaani
dipakkumar9599

Dipak Kumar

New Creator