जो कभी डरता था मैं बिन तेरे जीने से, एक उम्र बिना तुम्हारे बितानी अभी बाकी है। हाँ है फासले अब तेरे मेरे दरमिंयां, पर तेरी मेरी कहानी अभी बाकी है। जख्म तुम्हारे भी गहरे थे, जख्म मेरे भी गहरे थे, दर्द खत्म हुआ पर निशानी अभी बाकी है। ऐसे तो हज़ार बार मेहरबान हुआ तू, पर तेरी आखिरी मेहरबानी अभी बाकी है। meharbaani