कैसे न करती उसपे यकिन ,नदी के जैसे बह रही थी आंखे तुम मिल जाओ तो में मुक्कमल ,हो जाऊ तुमको पाके दिल के हर राज खोलूंगा, तेरे लिए ही हर अल्फाज बोलूंगा मिलोगी नहीं तो मर जाऊंगा एक बार नहीं सौ बार बोलूंगा तुमसे दूर होकर में जी कहा पाऊंगा, लाके देदो जहर खाकर मर जाऊंगा हजार कसमें खाई उसने वादे भी हजार किए बन बैठे खुदके कातिल उसके बातो का एतबार किए शौक था उसका दिलो से खेल जाने का खुद को ही खुद का गुनहगार किए फरेब,धोखा का पहना चोला था उसने झूठ भी कितना प्यारा बोला था ©Roshni Yadav उसने झूठ भी कितना प्यारा बोला था