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इश्क यूं झलझला के चल पड़ा , जैसे झरनो सी गिरता कोई

इश्क यूं झलझला के
चल पड़ा , जैसे झरनो
सी गिरता कोई ख्वाब
जैसे मचलता कोई रुआब
जैसे समझता कोई जवाब
जैसे आखों के सामने से
गुजरता हर दिन का एक
हिसाब, जिसमें जितना जो
हैं समेट लो क्योंकी नही 
रहता, एक सा दिन 
और एक सा बहाव
बात मोहब्ब्त की जो
जा ठहरी , चल झरनो
सा बेहिसाब.. #neerajwrites इश्क का झरना
इश्क यूं झलझला के
चल पड़ा , जैसे झरनो
सी गिरता कोई ख्वाब
जैसे मचलता कोई रुआब
जैसे समझता कोई जवाब
जैसे आखों के सामने से
गुजरता हर दिन का एक
हिसाब, जिसमें जितना जो
हैं समेट लो क्योंकी नही 
रहता, एक सा दिन 
और एक सा बहाव
बात मोहब्ब्त की जो
जा ठहरी , चल झरनो
सा बेहिसाब.. #neerajwrites इश्क का झरना