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शरीर ये मिट्टी का,आत्मा एक खिलौना है ईश्वर ने जो

शरीर ये मिट्टी का,आत्मा एक खिलौना है 
ईश्वर ने जो रचा,बस वही तो  होना है
मुश्किल से मिले इस काया से,
कितनों का बुरा कर डालतें हैं हम सब
नहीं रोशन हो पाया,किसी घर का कोना है
मृत्यु से कैसा डरना,मृत्यु तो एक गौना है ।

©virutha sahaj
  #मृत्यु