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मुझ सा तुम्हे क्या तुम्हें कोई फिर मिल पाएगा अपनी

मुझ सा तुम्हे 
क्या तुम्हें कोई फिर मिल पाएगा
अपनी सुधबुध खो कर 
क्या कोई तुम्हारी फिक्र
इतनी शिद्दत से कर पायेगा
जब तुम उलझी रहोगी 
क्या कोई तुम्हे मेरी तरह ही
तुम्हारे बालो मे उंगलियाँ घूमाकर
तुम्हें सुलझा पाएगा
निगाहें बहुत मिल जाएगीं 
तुम्हे निहारने वाली
पर कोई दूसरा तुम्हें क्या
मेरी जैसी नजरों से देख पाएगा
भले बंद कर लिए हो तुमने
दरवाजे मुझे देख कर
पर तुम्हें मेरे जैसा कहाँ कोई
दिल का किरायेदार मिल पाएगा
अगर तलाश करो तो
शायद तुम्हें कोई और मिल ही जाएगा
पर अपने दिल से पूछो ना जरा
क्या कोई तुम्हें
मेरी तरह चाह पाएगा--अभिषेक राजहंस क्या कोई तुम्हे
मुझ सा तुम्हे 
क्या तुम्हें कोई फिर मिल पाएगा
अपनी सुधबुध खो कर 
क्या कोई तुम्हारी फिक्र
इतनी शिद्दत से कर पायेगा
जब तुम उलझी रहोगी 
क्या कोई तुम्हे मेरी तरह ही
तुम्हारे बालो मे उंगलियाँ घूमाकर
तुम्हें सुलझा पाएगा
निगाहें बहुत मिल जाएगीं 
तुम्हे निहारने वाली
पर कोई दूसरा तुम्हें क्या
मेरी जैसी नजरों से देख पाएगा
भले बंद कर लिए हो तुमने
दरवाजे मुझे देख कर
पर तुम्हें मेरे जैसा कहाँ कोई
दिल का किरायेदार मिल पाएगा
अगर तलाश करो तो
शायद तुम्हें कोई और मिल ही जाएगा
पर अपने दिल से पूछो ना जरा
क्या कोई तुम्हें
मेरी तरह चाह पाएगा--अभिषेक राजहंस क्या कोई तुम्हे