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नवदुर्गा दोहावली माँ अम्बे की वंदना, करता बारम्बार

नवदुर्गा दोहावली
माँ अम्बे की वंदना, करता बारम्बार।
विनती है केवल यही, कर देना भव-पार।।1।।

शैल सुता माँ बस गयी, जाकर जड़-पदार्थ।
इसके दोहन से नहीं, माता आज कृतार्थ।।2।।

ब्रह्मचारिणी मातु है, तप अरु ज्ञान प्रतीक।

नवदुर्गा दोहावली माँ अम्बे की वंदना, करता बारम्बार। विनती है केवल यही, कर देना भव-पार।।1।। शैल सुता माँ बस गयी, जाकर जड़-पदार्थ। इसके दोहन से नहीं, माता आज कृतार्थ।।2।। ब्रह्मचारिणी मातु है, तप अरु ज्ञान प्रतीक।

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