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एक चित्रकार था। रोज एक सुंदर चित्र बनाता और चौराहे

एक चित्रकार था। रोज एक सुंदर चित्र बनाता
और चौराहे पर लगा देता। नीचे लिख देता:कोई
कमी हो तो जरूर बताइएगा। हरेक दिन नीचे कुछ न कुछ कमी लिखा होता । चित्रकार बड़ा दुखी हुआ और उदास बैठ गया। तभी कोई तजुर्बेकार व्यक्ति वहां पहुंचा और उससे उसके उदासी का कारण पूछा।चित्रकार ने कहा, " मैं मेहनत करके इतना सुंदर चित्र बनाता हूं, यहां लगा कर नीचे लिख देता हूं कोई कमी हो तो
बताइए और लोग रोज कोई न कोई कमी निकल देते हैं। उस व्यक्ति ने बोला एक काम करो। आज फिर हमेशा की तरह चित्र लगाओ लेकिन लिखो
चित्र की कमी  के साथ साथ उस कमी को दूर कैसे किया जाय, ये भी बताएं। चित्रकार ने वैसा ही किया।लेकिन कोई जवाब में कुछ नहीं आया।
सार यही है कि कमी निकालने के लिए लोग है लेकिन सुधार के उपाय बतानेवाले बहुत कम।

©नागेंद्र किशोर सिंह # कथा
एक चित्रकार था। रोज एक सुंदर चित्र बनाता
और चौराहे पर लगा देता। नीचे लिख देता:कोई
कमी हो तो जरूर बताइएगा। हरेक दिन नीचे कुछ न कुछ कमी लिखा होता । चित्रकार बड़ा दुखी हुआ और उदास बैठ गया। तभी कोई तजुर्बेकार व्यक्ति वहां पहुंचा और उससे उसके उदासी का कारण पूछा।चित्रकार ने कहा, " मैं मेहनत करके इतना सुंदर चित्र बनाता हूं, यहां लगा कर नीचे लिख देता हूं कोई कमी हो तो
बताइए और लोग रोज कोई न कोई कमी निकल देते हैं। उस व्यक्ति ने बोला एक काम करो। आज फिर हमेशा की तरह चित्र लगाओ लेकिन लिखो
चित्र की कमी  के साथ साथ उस कमी को दूर कैसे किया जाय, ये भी बताएं। चित्रकार ने वैसा ही किया।लेकिन कोई जवाब में कुछ नहीं आया।
सार यही है कि कमी निकालने के लिए लोग है लेकिन सुधार के उपाय बतानेवाले बहुत कम।

©नागेंद्र किशोर सिंह # कथा