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अचानक से हवा का झोका । देते हुए सबको धोखा । मेरे

अचानक से हवा का झोका ।

देते हुए सबको धोखा ।

मेरे लेखन कि नया से तकराया ।

मुझे कुछ पल के लिए दूबो कर वो मन्द  मन्द मुशकाया ।

उस्से लगा दूबो दी उसने मेरी लेखन कि नया ।

बन बैठा वो मेरे शब्दो का खेवया ।

मेरे लेखन कि नया को नफरत के समुन्दर मे दूबो कर बहोत खुश होकार ।

लेखन मे वो मुझसे आगे बध पाया ।

पता नही कैसे वो खुदको लेखन कि दुनिया मे लाया ।

पर मेरे शब्द हि संजीवनी है ।

मेरे लेखन कि जीवनी है ।

मेरे शब्दो ने मेरे नया को पार लगाया ।

वो मतवाला कैसे खुदको लेखक कह पाया ।

नही वो मुझे मेरे विचार मे ढूबो पाया ।

ना हि मेरे लेखनी को चोट पहूचा पाया ।

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©Author shivam kumar mishra #FloatingBoat #obstacles #Nojoto #Hindi #kavita #nojotohindi