होलिका हो तुम ही हो मंथरा नारी जाती को क़लकित करतीं शर्पणखा धन,धान्य, सुवर्ण का इतना प्रलोभ लाज शर्म को त्यागे पीती हो मधिरा पर पुरुषो का सहवास हो करतीं धन लोभी बदचलन कलयुग कि अप्सरा मन को मोहित करतीं देखें धन तहसनहस किया छात्रों का जीवन काम उत्तेजना कि शिक्षा प्रदान करतीं छात्राओं को धनियों को मोहित करने कि सिखाती हो कला बुढ़ापे में ये हाल हैं जवानी में क्या रही होगी बला क़माल हैं सालिक हलाहल पीकर तेरा सीना जला तुम चुड़ैल कलयुग कि रक्त को पीती सविता गणवीर नागिन नीली नीलमपरी ©Deep Bawara yq मुर्दाबाद #सविता_गणवीर #मंथरा #होलिका #yqdidi #yqbaba #Anhoni