कभी परछाई,तो कभी मेरी सच्चाई कभी मेरे कल की आहट। तो मेरी वक्त बे वक्त की बेपनाह चाहत।। एक राज है तू ,जो मुझमें मुसलसल चल रहा है। वक्त ,दिन ,महीनो शाम – सुबह में नहीं सालो में बदल रहा है।। और हर वक्त के संग और गहरा ही गहरा मुझमें तू पल रहा है। कभी तू शुरूआत है कभी मुझमें बरसो से डूबा एक आस है ! सोचता हू रख के कंधा कह दू तुमसे फिर खामोस होकर मैं भी जाने क्यों सही वक्त का तालाश करता हूं ! कह दू क्या .......? ©Ahsas Alfazo ke kah du kya ? #findingthelove #lovestoria #Soul #FindingOneself It'sficklemoonlight Jugal Kisओर Mumbaikar_diary