कुछ हम किसी से सीखते हैं कुछ कोई हम से सीख जाता है जिंदगी है सीखने सिखाने का खेल कहते हैं माँ पहली गुरु होती है माँ बचपन में बोलना चलना सब सिखाती है एक मनुष्य को जिस तरह रहना चाहिए उस तरह वो रहना सिखाती है हमारे अंदर सभ्यता संस्कार वही डालती है,,,,, फिर हमें और सभ्य करने के लिए स्कूल डाला जाता है जहां हम जिंदगी की और टेक्निक सीखते हैं अपना बौद्धिक ज्ञान बढ़ाते हैं रट्टे मार मार के पास होते है,,,,, कुछ दोस्त सिखाते हैं कुछ समाज सिखाता है कुछ पड़ोसी सिखाते हैं कुछ रिश्तेदार सिखाते हैं कुछ अपने सिखाते हैं कुछ भाई-बहन सिखाते हैं