आज की बुनी हुईं ख्वाहिशें मैं रोज़ अपने कल पे डाल देती हूँ, कुछ इस तरह से मैं अब खुद को ही सम्भाल लेती हूँ☺ आज की बुनी हुईं ख्वाहिशें मैं रोज़ अपने कल पे डाल देती हूँ, कुछ इस तरह से मैं अब खुद को ही सम्भाल लेती हूँ☺☺