है जन्नत से आवाज़ उठी, अब कश्मीर सिर्फ़ हमारा है, आतंक के दलदल में, डूबनें का अब ना विचार हमारा है, बहोत भटका चुके तुम हमको, अब ख़ुद को रस्ते पे लाना है, ऐ आतंक के ठेकेदारों,