मेरी कहानी में गर कुछ किरदार नही होते,, यू ही किसी की नजरो से बीमार नही होते,, होते तो आज भी है मगर मतलब के सब,, कृष्ण और सुदामा जैसे अब यार नही होते!! हम जैसे काटे तो हर मौसम मिल जाते है,, लेकिन गुलाब हर मौसम तैयार नही होते!! दीवारों पर उनके भी तरीखे टंगी होती है,, बस गरीबो के कैलेंडर में इतवार नही होते!! वो खुश है तो उदास मत कर अपना दिल,, हीरे होते है मगर कोहिनूर हजार नही होते!! दगा,फरेब,जुर्म,नशा हम तुम ही तो करते है,, फिर ये बच्चे क्यो इतने होशियार नही होते!! जूठा महल तो बड़ा शानदार हो गया मेरा,, मगर सच की झोपड़ी के खरीदार नही होते!! शर्महया,मानमर्यादा बड़ो से ही मिलती है विपिन,, इन सब चीजों के कोई बाजार नही होते!! Zikr ek @√ #trought