अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे, जिसको न मिले वही ढूंढे .. रात आयी है, सुबह भी होगी, आधी रात में कौन सुबह ढूंढे.. चलते फिरते पत्थरों के शहर में, पत्थर खुद पत्थरों में भगवान ढूंढ़े.. धरती को जन्नत बनाना है अगर, हर शख्स खुद में पहले इंसान ढूंढे..!!! ©Aarchi Advani अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे, जिसको न मिले वही ढूंढे .. रात आयी है, सुबह भी होगी, आधी रात में कौन सुबह ढूंढे.. चलते फिरते पत्थरों के शहर में, पत्थर खुद पत्थरों में भगवान ढूंढ़े.. धरती को जन्नत बनाना है अगर, हर शख्स खुद में पहले इंसान ढूंढे..!!! आर्ची आडवाणी