अज़ल जावेदाँ क़तरा हूँ मैं इस मुक़द्दस कायनात का चहार-जानिब हूँ मैं, मुसलसल 'सफ़र' है कायनात का जावेदाँ- eternal, जिसका नाश न हो सके चहार-जानिब- चारों तरफ मुसलसल- लगातार _Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "अज़ल" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,