दौड़ी चली आई तेरी एक पुकार में कबसे बेसब्र थी तुझे देखने के लिए यार में,, दिन सुहाने हैं इस यौवन के मनमौजी से अठखेलियां करते जी भर के,,,,,,, सांसे तेज चलती हैं दिल की धड़कने भी बढ़ती है थामे ना थमती है यौवन कि मनमर्जियां,,,,,,, जी भर जीते हैं ख्वाबों में उड़ते हैं तन्हा रहना रास आता है,,,,,,,,