आज हम ऐसे वैश्विक परिवेश में रह रहे हैं जहां विश्व में लगभग सभी देश महिला स्वतंत्र समानता और अधिकार जैसे उदाहरण होगी केवल बात ही नहीं करते बल्कि जमीनी स्तर पर इसे क्या बात करने का प्रयास भी कर रहे हैं महिला सशक्तिकरण और महिला शिक्षा जैसी बातों पर विमर्श में बदलाव वैश्विक स्तर पर तो परिलक्षित हो ही रहा है बल्कि जब महिलाओं के नेतृत्व में विकास जैसे प्रगतिशील बातें हो रही हैं तो परंतु पहला प्रश्न यही है कि महिला सशक्तिकरण का संबंध केवल सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों तक ही सीमित है बल्कि नहीं बल्कि इसका संबंध देश की आधी आबादी के हाथ में निर्माण समाज के दिया का 80 रूढ़िवादी प्रथाओं के प्रति जागरूक होना भी है महिला सशक्तिकरण आधी आबादी की प्रगति उनमें चेतन का संचार और जागरूकता से संबंध है आज महिला अपने सीमित दायरे से निकलकर अपनी रचनात्मक और योग्यता के बल पर विकास प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है वहीं वर्तमान में देश के भीतर हिजाब पर हो रहा विवाद एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है कुछ राजनीतिक दलों के द्वारा इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है इंटरनेट मीडिया पर हिजाब पहनने हुए एक छात्र का सड़क पर लगाया जा रहा है एक चर्चित नारा का वीडियो सामने आने बाद में उसे बहादुर कहा जा रहा है इसी क्रम में कुछ राजनीतिक दलों द्वारा बयान बाजी भी कर दी गई है महिलाओं को यह अधिकार है कि वह कुछ पहन सकती हैं और उसका व्यक्तिगत मामला है ©Ek villain #महिला सशक्तिकरण की ओर निरंतर बढ़ते कदम #selflove