मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी ! मैं अपनी मुट्ठियों में कैद कर लेता ज़मीनों को मगर मेरे क़बीले को बिखर जाने की जल्दी थी ! वो शाख़ों से जुदा होते हुए पत्तों पे हँसते थे बड़े ज़िंदा - नज़र थे जिन को मर जाने की जल्दी थी । Sarfaraj idrishi 🎤 अलविदा राहत साहब , रुला गये आप तो #RIPRahatIndori मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी ! मैं अपनी मुट्ठियों में कैद कर लेता ज़मीनों को मगर मेरे क़बीले को बिखर जाने की जल्दी थी ! वो शाख़ों से जुदा होते हुए पत्तों पे हँसते थे बड़े ज़िंदा - नज़र थे जिन को मर जाने की जल्दी थी । RIPRahatIndori #flyhigh #विनोद #indiaviralbinod