मै जिसकें लिए बयां करती, अपनी दिल का हाल वो मेरी लिखने की कला समझ बैठे हैं। और लिखूँ ! किस के लिए, सब अपने गैर लगने लगें है, सोचूँ छोड़ दूँ लिखने की अदत ! सबके लिए, मेरे हाथ रूके कहाँ रुकते है, पता है ! इसे भी लिखने की कला समझ बैठेंगे, बात - बात ! बताना मुझे न आता, हम तो कविताओं में अपनी बात रखते हैं समझ सकें तो सब कोई यहाँ, अनजाने बन वही खुद को रखते हैं, होती है जलन मेरे एक झलक अॉनलाईन रहने से, नही डरते हम whatsApp / Facebook को अलविदा कहने से, कुछ काम न है मेरा Facebook एप से, अब कुछ मिला न तो कुछ सुराग़ हो , उनके खिलाफ मेरे से , अब ये आखिर कविता मेरी स्टेटस के लिए होगी, और शायद आखिर स्टेटस भी होगी । ©My Poetry and learning Lovers #sad_poetry #manoramaShaw #mypoetryandlearningLovers #girl