एक खुशी के मारे रो रहा था, दूजा दर्द के मारे झूम रहा था। दोनों के पास कुछ था जो छूट रहा था, दिन रात का झगड़ा है गुथ्थम गुथ्था हो रहा था। खुश कोई भी नहीं है, खुश कोई भी नहीं है, दिन रात यही है।