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चक्षुषा मनसा वाचा कर्मणा चतुर्विधम्। प्रसादयती यो

चक्षुषा मनसा वाचा कर्मणा चतुर्विधम्।
प्रसादयती यो लोकं तं लोगों लोकोअनुप्रसीदति।।

जो राजा नेत्र, मन, वाणी और कर्म -
इन चारों से प्रजा को प्रसन्न करता है, उसी से प्रजा प्रसन्न रहती है।
विदुर नीति २.२५ 
(महाभारत) राजनीति सिखाएं
चक्षुषा मनसा वाचा कर्मणा चतुर्विधम्।
प्रसादयती यो लोकं तं लोगों लोकोअनुप्रसीदति।।

जो राजा नेत्र, मन, वाणी और कर्म -
इन चारों से प्रजा को प्रसन्न करता है, उसी से प्रजा प्रसन्न रहती है।
विदुर नीति २.२५ 
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