शीर्षक ----मुझे न याद आया इस शहर की रोशनी में मैं माटी के दिये जलाना भूल आया मोमबत्तियों को कहीं यूँ ही सिसकती छोड़ आया मैं अपने गांव का घर कहीं पीछे गुम कर आया रंगीन रौशनी की चमक में