#संकुचित सिमटा सा #लज़्जित, करता जीवन यापन है.. मान लिया दीनता को नियति, कभी वो कुछ नही कहता है.. सड़ा गला जो मिल जाता है, खाकर जीवन जीता है.. बचपन देखी नही है इसने, होता कहां जवान है.. बुढ़ापे को जी नही पाता, बंचित रहता जीवन से.. जीने की चाहत में यह, मरता ये हर रोज है.. #अजय57