पहले तड़ीपार अब व्यापार पागल बनने को तैयार लूट खसूट कर्जा बेईमानी कैसे मिलिए आँखें चार फटी पडी हैं कैसे देदूँ जमा पूंजी जो ली उधार बन जाओ पागल लापता ढूंढो सालों द्वारई द्वार मिल गए तो अनजान बनो तुम ना नाम पता न पता है द्वार कुछ दिन सोकर नींद कुम्भकरण सी उठो कहो मै आया हरिद्वार भूल जाएंगे लोग लेनदेन धीरे से फिर करो विचार गलती से कोई आ गया तो खाओ सामने प्याज अचार #येडा_बनके_पेडा_खाना #Sadharanmanushya ©#maxicandragon पहले तड़ीपार अब व्यापार पागल बनने को तैयार लूट खसूट कर्जा बेईमानी कैसे मिलिए आँखें चार फटी पडी हैं कैसे देदूँ जमा पूंजी जो ली उधार बन जाओ पागल लापता ढूंढो सालों द्वारई द्वार