Nojoto: Largest Storytelling Platform

जिन रिश्तों के डोर से बंधे थे, उसका हर धागा कच्चा

जिन रिश्तों के डोर से बंधे थे,
उसका हर धागा कच्चा था।
जो गुज़र गए,
सारे पल, सोचते हैं कौन सा लम्हा सच्चा था,
अब कैसे बताऊं कि,
थक गए हैं उससे दिल्लगी करके
सोचता हूं,
इस दर्द से भला तो मैं तन्हा ही अच्छा था।।

©VINOD DWIVEDI
  #मैं अकेला ही अच्छा था....
vinoddwivedi1718

VD GK STUDY

Bronze Star
New Creator
streak icon2

#मैं अकेला ही अच्छा था.... #Thoughts

147 Views