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किसी ख्याली सिगरेट के दो कश लगाकर या किसी मयकदे के

किसी ख्याली सिगरेट के दो कश लगाकर या किसी
मयकदे के जाम की दो घुंट गले के नीचे उतारकर, 
तुझे भला ना चाहता हूँ या, 
अपना बनाना चाहता हूं l
इस कैद - ए - तनहाई में कुछ शामें और गुज़ारना
बाकी है अभी, 
ज़िदा रहकर, तेरे सारे ऐब जानना 
बाकी है अभी l
खुदा का नहीं पता पर थोड़ा रुककर तुझे याद करना
मेरी मर्जी होती है, 
याद करना तेरे उस नूरानी चेहरे को , 
जो सादगी से ही सही पर सजी होती थी l

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  #uskiyaadmein (part-2)
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