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ये चांद अभी जो पानी में था उसकी छत पे जा बैठा है

ये चांद अभी जो पानी में था उसकी छत पे जा बैठा है 
अपने जैसा दिखते ही उसने फूल को तोड़ लिया है 
हाथ हिलाकर नाम जो पूछा उसने गुस्से से क्यों घूरा है 
दांत से उसने होठ को काटा मेरे दिल पर बोझ पड़ा है 
अब क्या बात बताने को है मेरी इज़्ज़त पर उसका दाग लगा है 
सबकुछ ढक कर भी सब दिखता उसने ऐसा कपड़ा क्यों पहना है

©अनुज कार्तिक #Light
ये चांद अभी जो पानी में था उसकी छत पे जा बैठा है 
अपने जैसा दिखते ही उसने फूल को तोड़ लिया है 
हाथ हिलाकर नाम जो पूछा उसने गुस्से से क्यों घूरा है 
दांत से उसने होठ को काटा मेरे दिल पर बोझ पड़ा है 
अब क्या बात बताने को है मेरी इज़्ज़त पर उसका दाग लगा है 
सबकुछ ढक कर भी सब दिखता उसने ऐसा कपड़ा क्यों पहना है

©अनुज कार्तिक #Light