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#5LinePoetry काफिलों के साथ बंटती नंही तन्हाईयां

#5LinePoetry काफिलों के साथ 
बंटती नंही तन्हाईयां 
रुखसत होती है रूह, 
रह जाती है रुसवाईयां
कब हुई हैं  ये  महफिलें  
कमबख्त किसी की
अक्सर तन्हा छोड़ देती हैं 
अपनी ही परछाइयां

©अपर्णा विजय

©अपर्णा विजय
  #किस्से जिंदगी के