मेरी कलम से....✍🏻 मुर्शिद कुली खां को औरंगजेब द्वारा बंगाल का दीवान नियुक्त किया गया था। उसने अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा राजस्व वसूली को रोककर अपने राज्य के हितों की रक्षा का प्रयास किया। शुजाउद्दीन खां जो मुर्शिद कुली खां का दामाद था ,उसका उत्तराधिकारी बना और उसने बिहार के सूबे को बंगाल राज्य में मिला लिया। सरफराज खां ,जो शुजा का पुत्र था , ने आलम-उद-दौला हैदर जंग की उपाधि धारण की । अली बर्दी खां ने मुग़ल शासक को दो करोड़ रुपये का भुगतान कर फरमान प्राप्त किया और अपने शासन को वैधानिक आधार प्रदान किया। उसने अपनी सबसे छोटी पुत्री के पुत्र सिराज-उद-दौला को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया । सिराज-उद-दौला ने कलकत्ता में अंग्रेजों को अपनी फैक्ट्रियों की किलेबंदी करने से रोका लेकिन अंग्रेजों द्वारा उसके आदेश को न मानने के परिणामस्वरूप अंग्रेजों और सिराज-उद-दौला के मध्य प्लासी का युद्ध लड़ा गया। मीर कासिम ने बर्दवान,मिदनापुर और चिटगांव की जमींदारी अंग्रेजों को सौंप दी। उसने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अनेक राजस्व और सैन्य सुधारों को लागू किया । मीर जाफर ने बंगाल,बिहार और उड़ीसा में मुक्त व्यापार करने का अधिकार और चौबीस परगना की ज़मींदारी ब्रिटिशों को प्रदान कर दी। मीर कासिम से युद्ध प्रारंभ होने के बाद 1763 ई.में उसे ब्रिटिशों द्वारा दुबारा गद्दी पर बिठाया गया। नज़्म-उद-दौला मीर जाफर का पुत्र था और द्वैध शासनकाल के दौरान अंग्रेजों के हाथों की कठपुतली मात्र था। निष्कर्ष औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ ही बंगाल मुर्शिद कुली खां के नेतृत्व से स्वतंत्र हो गया। मुर्शिद कुली खां ने अपनी योग्य प्रबंधन क्षमता के द्वारा बंगाल को समृद्धता के शिखर तक पहुँचाया। भाग 2 prajjval awadhiya Lumbini Shejul Sudha Tripathi Neha swami