मौत से मुखातिब, जो हुई मेरी रूह पंगत बैठी की आगे क्या होगा ? जवाब नहीं थे बस कहने को यही था, "मुझे या तो फिर मत भेजना वापस ! या फिर बुत किसी मंदिर में रख देना । जो देखने और सुनने का है तालमेल शायद समझ जाऊँगा । खुदा का नज़रिया क्या है, वो सीख जाऊँगा" हँस पड़ा वो दूत उधर ही "नहीं सुनी ऐसी पैरवी कभी ! जो तुझे नजरिया ही देना होता, तो आज तेरे सामने मैं नहीं वो ख़ुदा ही खड़ा होता ।" Part 1 of #MautAurMain #GOD #CalmKaziWrites #YQDidi #YQBaba #death topic given by Oindrila Majumdar मुलाक़ात