ग़लत को ग़लत बोलना ग़लत है क्या? जहाँ ज़्यादातर से मिले नाउम्मीदी वहाँ ज़िन्दगी के पक्ष में खड़ा होना ग़लत है क्या? गर है ऐसा तो फ़िर हमारा ग़लत होना ग़लत है क्या? #सही #ग़लतहै