हवाओं का भी क्या केहना है। कभी इसकी हो जाती है तो कभी उसकी। बड़ी बेवफ़ा है ये किसी एक की नहीं होती। मगर कुछ तो बात है इसकी चंचलता की। जब ये लिपटती है तो एक अजीब सी गुदगुदी नुमा एहसास हो। वो गुन गुनाती वो मुस्कुराती, वो पतौ की सरसराहट पर पतंगों का लड़ना, तो मानो उसकी ठंडी ठंडी हवाओं के झोंके कानों में कुछ केहना चाहते हो। अजीब सी कशिश है इसकी चंचलता कि मध्म मध्म सी हवा मानो लोरिया सुनाती हो मानो बड़े प्यार से सुला रही हो वो ममता की छाया तेरी अदभुद है काया। हवाओं का भी क्या केहना इनकी वो बाते ही निराली है...✍️ विनय पांडे ©vinay pandey official🇮🇳 👑 #कवि #भाव #हवा #झाड़ #republicbharat #Doordarshan #LostTracks